इसरो ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरे से ली गई तस्वीर को जारी किया है. इस हाई रिजोल्यूशन कैमरे ने चंद्रमा के सतह की तस्वीर ली है. इस तस्वीर में चंद्रमा के सतह पर बड़े और छोटे गड्ढे नजर आ रहे हैं.
इसरो ने ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरे से ली गई तस्वीर जारी की है. ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरे (OHRC) चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 की हाई रिजोल्यूशन तस्वीरें मुहैया कराता है. यह पैंक्रोमैटिक बैंड (450-800 nm) पर संचालित होता है
चांद के चक्कर लगा रहा है ऑर्बिटर
सभी कॉमेंट्स देखैंअपना कॉमेंट लिखें7 सितंबर को लैंडर विक्रम को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिग नहीं हो पाई थी और विक्रम से इसरो का संपर्क टूट गया। बाद में लैंडर के हार्ड लैंडिंग की पुष्टि नासा और इसरो के वैज्ञानिकों ने भी की। अभी चांद की कक्षा में चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर मौजूद है जो 7.5 साल तक अपना काम करता रहेगा। इसी ऑर्बिटर के कैमरे से ही चांद की नई तस्वीरें साझा की गई हैं।
ऑर्बिटर ने लैंडर विक्रम की पहले थर्मल इमेज भी खींची
कुछ दिन पहले ही चांद की सतह पर लैंडर विक्रम की सटीक लोकेशन का पता लगाया गया था। ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर की एक थर्मल इमेज भी क्लिक की थी। हालांकि बाद में चांद पर रात होने के बाद इसरो की लैंडर विक्रम से संपर्क करने की उम्मीदें खत्म हो गई थीं।
साढ़े 7 साल तक काम करेगा ऑर्बिटर
इसरो चीफ के. सिवन ने कहा था, 'ऑर्बिटर की उम्र साढ़े 7 सालों से ज्यादा है, न कि 1 साल, जैसा कि पहले बताया गया था। इसकी वजह है कि उसके पास बहुत ज्यादा ईंधन बचा हुआ है। ऑर्बिटर पर लगे उपकरणों के जरिए लैंडर विक्रम के मिलने की संभावना है।'
100 किमी दूर से चांद को निहार रहा अपना ऑर्बिटर
आपको बता दें कि 22 जुलाई को लॉन्च किए गए चंद्रयान-2 में लैंडर और रोवर को चांद पर उतरना था जबकि ऑर्बिटर के हिस्से में चांद की परिक्रमा कर जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी थी। 7 सितंबर को लैंडर चांद की सतह को छूने से ठीक पहले करीब 2.1 किमी ऊपर इसरो के रेडार से गायब हो गया और अब तक उससे संपर्क स्थापित नहीं हो सका है। हालांकि ऑर्बिटर इस समय चांद की सतह से करीब 100 किमी के ऊपर से परिक्रमा कर रहा है। इसमें एक हाई-रेज़ॉलूशन कैमरा है जो चांद की सतह पर 0.3 मीटर तक की तस्वीर ले सकता है। किरण कुमार ने कहा कि ऑर्बिटर से चंद्रयान-1 की तुलना में शानदार परिणाम मिल रहे हैं।