Mukhtar Abbas Naqvi Biography in Hindi

15 अक्टूबर 1957 को इलाहाबाद में मुख्तार अब्बास नकवी का जन्म हुआ. हंडिया तहसील के प्रतापपुर ब्लॉक में एक छोटा-सा गांव है भदारी इसी गांव से स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद नकवी ने जब कॉलेज का रुख किया तो राजनीति ने उन्हें आकर्षित करना शुरू कर दिया. गांव से हर दिन आना जाना जब कठिन होने लगा तो उन्होंने इलाहाबाद में ही रहकर पढ़ने का मन बनाया इसी दौरान उनकी मुलाकात समाजवादी नेता राजनारायण से हुई.



इस मुलाकात ने नकवी को राजनीति में आगे आने के लिए और प्रभावित किया. नकवी को उनका साथ भाने लगा और वह कई आंदोलन का हिस्सा रहे. आपातकाल के दौरान नकवी आंदोलन का हिस्सा रहे और जेल भी गये. जनता पार्टी की तरफ से राजनारायण ने जब इंदिरा गांधी को हराया तो नकवी समेत कई लोगों में उत्साह भर गया.


साल 1975 में लगे आपातकाल ने देश को कई कद्दावर नेता दिये. आपातकाल के दौरान आंदोलन का हिस्सा रह चुके कई नेता पक्ष- विपक्ष के खेमे में हैं. इसी कतार में एक नाम मुख्तार अब्बास नकवी का आता है. नकवी को अब कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला है. एक राजनीतिक के अलावा उनकी शख्सीयत के कई दूसरे आयाम भी हैं. उन्होंने हिंदुओं की पार्टी कही जाने वाली भारतीय जनता पार्टी के साथ सफर की शुरुआत की और इस पार्टी के अहम नेता की हैसियत हासिल की, जो पार्टी के रणनीतिक मामलों के साथ संसद में सरकार के लिए मजबूती से मोर्चा संभालता है.



विनम्र और मिलनसार स्वभाव के नकवी ने आज पार्टी के साथ-साथ पूरे देश में वह एक बड़े मुस्लिम नेता के रूप में अपनी पहचान कायम की है. छात्र जीवन से ही राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले नकवी भाजपा युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष रहे हैं. एक-एक कदम आगे बढ़ाते हुए उन्होंने अपनी पहचान स्थापित की.


राजनीति में बढ़ता कद और यूं प्रेम में पड़े नकवी


नकवी राजनीति में अब अपनी पहचान बनाने लगे थे. जन संचार में स्‍नातकोत्‍तर की डिग्री उन्हें राजनीति में काम आ रही थी. साल 1978-79 तक युवा जनता के उपाध्यक्ष बने. इसके इतर सीमा के साथ उनका प्रेम चर्चा में था. इसे लेकर जमकर बवाल कटा. कारण था सीमा का हिंदू और मुख्तार का मुस्लिम होना. सीमा और नकवी दोनों के घर में इस रिश्ते को लेकर ऐतराज था. सीमा एक्सट्रा क्लास के बहाने मुख्तार अब्बास नकवी से मिलती थीं. इन सब के बावजूद भी नकवी ने हार नहीं मानी और सारे विरोध को दरकिनार करते हुए सीमा से निकाह और शादी कर ली. उन्होंने कोर्ट मैरिज भी किया. यानी एक जोड़े ने तीन तरीके से शादी की. नकवी के घर में इस्लामिक और हिंदू दोनों त्योहार एक समान तरीके से मनाया जाता है.



मुख्तार अब्बास नकली ने पहले बीजेपी के टिकट पर मऊ जिले की सदर विधान सभा सीट से दो बार विधानसभा पहुचने की कोशिश की पर असफल रहे। सन 1991 मे वे मात्र 133 मतों से सीपीआई के इम्तियाज अहमद से चुनाव हार गये। उसके बाद सन 1993 के विधानसभा चुनावों में बसपा के नसीम ने लगभग 10000 मतों से उन्हें चुनाव हरा दिया।


1998 में रामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत गए, ये पहली बार हुआ था कि कोई मुस्लिम चेहरा भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनकर पहली बार संसद पहुँचा था। वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री भी बन गए वह दो किताबें स्याह और दंगा भी लिख चुके हैं।


लगातार तीन विधानसभा चुनाव हार चुके नकवी सीधे सांसद बने



नकवी ने पहला चुनाव इलाहाबाद पश्चिम से लड़ा लेकिन हार गये. अयोध्या से निर्दलीय चुनाव लड़ा हार गये. यूपी के मऊ से लड़े हार गये. नकवी की किस्मत खुली जब जनता पार्टी टूट गयी. साल 1992- 97 तक उन्हें युवा मोर्चा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया. 1998 में उन्हें लोकसभा का टिकट मिला और रामपुर से चुनकर वह सीधे लोकसभा पहुंचे. नकवी की इस जीत ने कई रिकार्ड तोड़े यह पहली बार था भारतीय जनता पार्टी से कोई मुस्लिम चेहरा जीतकर लोकसभा पहुंचा था. अटल सरकार में नकवी को सूचना प्रसारण मंत्रालय दिया गया. इसके बाद नकवी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा उन्होंने पार्टी और सरकार में दोनों ही जगह कई महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. अब उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला है जो उनके और बड़े होते कद का परिचय देता है.


विवाद और राजनीति


मुख्ताब अब्बास नकवी कई बार बयानों को लेकर विवाद में रहे हैं. बीफ को लेकर नकवी के बोल भी खूब चर्चा में रहे. सबसे ज्यादा विवाद साबिर अली के भाजपा में शामिल होने को लेकर हुआ था. जनता दल यूनाईडेट से भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने वाले साबिर अली पर मुख्तार अब्बास नकवी ने कड़ा प्रहार किया था.



साबिर के भाजपा में शामिल होने के बाद ट्वीट करते हुए लिखा था, दाऊद भी जल्द ही बीजेपी ज्वाइन कर सकता है. नकवी ने ट्वीट करके साबिर अली पर आतंकियों का दोस्त होने का आरोप लगाया था. इस ट्वीट के बाद खूब हंगामा हुआ. साबिर अली की पत्नी नकवी के आवाश के बाहर धरने पर बैठीं. नकवी पर आरोप लगा कि वह नहीं चाहते कि पार्टी में उनका अलावा कोई मुस्लिम चेहरा हो जो उनके महत्व को कम कर दे. हंगामे और विवाद के बाद साबिर को पार्टी से निकाल दिया गया था लेकिन बाद मे उन्हें फिर पार्टी में शामिल कर लिया गया.